मानव वृद्धि बड़ी जालिम दुर्दिन लाने वाली, संभल जा। मानव वृद्धि बड़ी जालिम दुर्दिन लाने वाली, संभल जा।
वीरान होती बस्ती दर बस्ती हो गई जीवन कितनी सस्ती। वीरान होती बस्ती दर बस्ती हो गई जीवन कितनी सस्ती।
अपनी बस्ती भर रही है उनसे जिनकी दौलत से बस यारी। अपनी बस्ती भर रही है उनसे जिनकी दौलत से बस यारी।
एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझाने की कोशिश करता है... एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझ...
लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I
ये तौर, ये तरीके, बनाए किसने! ये तौर, ये तरीके, बनाए किसने!